gold prices – भारतीय बाजारों में सोने की कीमतें एक बार फिर तेजी की रफ्तार पकड़ चुकी हैं। पिछले सात दिनों में करीब 3900 रुपए की बढ़ोतरी के साथ सोना निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। अक्टूबर 2025 की शुरुआत में देखें तो 24 कैरेट सोने का भाव 119400 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है। यह तेजी न केवल त्योहारी सीजन की मांग को दर्शाती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चल रही अनिश्चितता का भी परिणाम है। सराफा कारोबारी और विश्लेषक मानते हैं कि आने वाले दिनों में यह रुझान जारी रह सकता है।
भारतीय संस्कृति में सोने का महत्व सदियों पुराना है और त्योहारी सीजन में इसकी मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। धनतेरस और दिवाली जैसे शुभ अवसरों पर सोना खरीदना परंपरा का हिस्सा माना जाता है। इस बार बाजार में तेजी के बावजूद खरीदारों का उत्साह कम नहीं हुआ है। लोग न केवल आभूषणों के लिए बल्कि निवेश के उद्देश्य से भी सोना खरीद रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प बना हुआ है।
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विभिन्न कैरेट के सोने की मौजूदा कीमतें
बाजार में अलग-अलग शुद्धता के सोने की कीमतें भी अलग-अलग हैं। 22 कैरेट सोना, जो आभूषण बनाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है, 109450 रुपए प्रति 10 ग्राम की दर से बिक रहा है। यह शुद्धता आभूषणों को मजबूती देने के साथ-साथ चमक भी बनाए रखती है। वहीं 18 कैरेट सोना, जो कम शुद्धता वाला होता है, 89550 रुपए प्रति 10 ग्राम के भाव पर उपलब्ध है। यह विकल्प उन खरीदारों के लिए उपयुक्त है जो कम बजट में सोने के आभूषण खरीदना चाहते हैं।
सोने की विभिन्न शुद्धता स्तरों में अंतर समझना जरूरी है। 24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध माना जाता है और इसमें 99.9 प्रतिशत सोना होता है। हालांकि यह नरम होता है इसलिए आभूषण बनाने के लिए इसमें अन्य धातुओं का मिश्रण किया जाता है। 22 कैरेट में लगभग 91.6 प्रतिशत सोना होता है जबकि 18 कैरेट में 75 प्रतिशत सोना होता है। खरीदारों को अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सोने की शुद्धता का चयन करना चाहिए।
बाजार में उतार-चढ़ाव का विश्लेषण!
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पिछले कारोबारी सत्र में कुछ दिलचस्प बदलाव देखने को मिले। शुक्रवार को दिल्ली के सराफा बाजार में सोने की कीमत में 500 रुपए की गिरावट दर्ज की गई थी। 99 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 120600 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया था। यह गिरावट मुख्य रूप से निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली और अमेरिकी डॉलर में हल्के सुधार के कारण हुई। लेकिन यह गिरावट अस्थायी साबित हुई और बाजार ने जल्द ही अपनी तेजी की रफ्तार पकड़ ली।
सोने की कीमतों में यह अस्थिरता अंतरराष्ट्रीय कारकों से प्रभावित होती है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी, वैश्विक राजनीतिक स्थिति, और केंद्रीय बैंकों की नीतियां सोने के भाव को सीधे प्रभावित करती हैं। बुधवार को सोने ने लगातार पांच दिनों की तेजी के बाद नया रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि गांधी जयंती और दशहरा के अवसर पर गुरुवार को बाजार बंद रहने से कारोबार में रुकावट आई। इन त्योहारों के बाद बाजार ने फिर से गति पकड़ी और खरीदारी में उछाल आया।
चांदी का बाजार भी रहा सक्रिय!
सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखा गया। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 500 रुपए घटकर 95000 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गई थी। चांदी भी भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण धातु है और त्योहारों पर इसकी मांग भी काफी बढ़ जाती है। कई परिवार चांदी के सिक्के, बर्तन और आभूषण खरीदना शुभ मानते हैं। निवेश के नजरिए से भी चांदी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह सोने की तुलना में सस्ती होती है।
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चांदी का उपयोग न केवल आभूषणों में बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी होता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा पैनल और चिकित्सा उपकरणों में चांदी की मांग बढ़ती जा रही है। यह औद्योगिक मांग चांदी की कीमतों को स्थिरता देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में हरित ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से चांदी की मांग और बढ़ सकती है। इसलिए दीर्घकालिक निवेशकों के लिए चांदी भी एक आकर्षक विकल्प हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य के संकेत
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक के अनुसार, सोने की कीमतों में हालिया गिरावट अस्थायी थी। अमेरिकी डॉलर में सुधार और निवेशकों की मुनाफावसूली के बावजूद सोने में निवेश की मांग मजबूत बनी हुई है। फरवरी 2025 के बाद से सोने में जो तेजी देखी गई है, वह सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश के कारण है। अमेरिकी सरकार के कामकाज को लेकर अनिश्चितता बाजार में अस्थिरता ला रही है जिससे सोने को समर्थन मिल रहा है।
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अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापार युद्ध की आशंकाओं ने भी सोने की मांग बढ़ाई है। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ती है तो निवेशक पारंपरिक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करते हैं। सोना ऐसे समय में सबसे भरोसेमंद विकल्प माना जाता है। विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंता और केंद्रीय बैंकों की नीतियां आने वाले महीनों में भी सोने को मजबूती प्रदान करती रहेंगी।
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त्योहारी सीजन में सोना खरीदने की योजना बना रहे लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, हॉलमार्क युक्त सोना ही खरीदें जिससे शुद्धता की गारंटी मिले। दूसरा, अलग-अलग ज्वेलर्स के भाव तुलना करें क्योंकि मेकिंग चार्ज में काफी अंतर हो सकता है। तीसरा, यदि निवेश के उद्देश्य से खरीद रहे हैं तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्पों पर भी विचार करें। ये विकल्प सोने के भौतिक रखरखाव की समस्या से बचाते हैं और बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह है कि सोने में निवेश को अपने कुल पोर्टफोलियो के एक हिस्से के रूप में देखें। सभी पैसे एक ही जगह लगाने से बचें और विविधता बनाए रखें। सोना दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतर है इसलिए छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं। यदि आप आभूषण खरीद रहे हैं तो डिजाइन और वजन का सही आकलन करें। कई बार भारी डिजाइन में वास्तविक सोने का वजन कम होता है और मेकिंग चार्ज ज्यादा लगता है। इन बातों का ध्यान रखकर आप बेहतर खरीदारी कर सकते हैं और अपने निवेशका अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।